2013 केदारनाथ आपदा के दिए घाव भरे नहीं आज तक

2013 में भारी तबाही मचा चुकी त्रासदी में कितने लोगों ने जान गवांई और कितने शव गिने जा सके, ये आज भी एक बड़ा सवाल है। इस भयंकर त्रासदी के निशान अभी भी उत्तराखंड के चेहरे पर दिख जाते हैं। कमोबेश ऐसा ही एक जख्म अभी भी भरने के इंतजार में है।



त्रासदी में चमोली में इसी त्रासदी में बह चुके पुल का दर्द अभी भी यहां के लोगों को टीस रहा है। हादसे से सात सालों बाद भी यहां पुल का निर्माण दोबारा नहीं किया जा सका है।


चमोली में त्रासदी का बदनुमा निशां अभी भी अपना दाग छोड़े हुए है। देवाल में त्रासदी के समय पुल बह गया था। इतने साल बीतने के बाद भी अभी तक भी सरकार को इस पुल की सुध लेने का वक्त नहीं मिल सका है। मजबूरी में यहां के लोग लकड़ी का पुल बनाकर नदी पार करने को मजबूर हैं।


स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार इस मांग को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार के आला अधिकारियों और नेताओं के सामने मांग रखी जा चुकी है। मगर शिकायतें करने पर जवाब में सिर्फ आश्वासन ही हाथ में आते हैं।