सोशल मीडिया पर तरह-तरह के भ्रामक और भड़काऊ संदेशो से भड़की हिंसा

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में फैली हिंसा ने अब तक दस लोगों की जान ले ली है। रविवार से शुरु हुई हिंसा आज तीसरे दिन भी जारी है। अर्धसैनिक बलों ने फ्लैग मार्च कर दंगा प्रभावित इलाकों में शांति बहाल कराने की कोशिश की है। लेकिन इस दंगे को भड़काने की सबसे बड़ी वजह सोशल मीडिया पर कंट्रोल करने के लिए अभी तक कोई उपाय नहीं किए गए हैं।


हालात यह हैं अब तक सोशल मीडिया पर तरह-तरह के भ्रामक और भड़काऊ संदेश भेजे जा रहे हैं जिससे दोबारा दंगे भड़क सकते हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से इसे रोकने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। सामान्यतः ऐसी स्थिति में सोशल मीडिया क्षेत्र से इंटरनेट सेवा बाधित करने जैसे उपाय अपनाए जाते हैं। 


जाफराबाद में प्रदर्शन कर रहे लोगों का भी आरोप है कि कुछ स्थानीय नेताओं ने अपने ट्विटर और फेसबुक पेजों से आपत्तिजनक बयानबाजी की जिसकी वजह से हिंसा फैली। अगर इनके जरिए लोगों की भावनाओं को नहीं भड़काया गया होता तो हिंसा की ये आग नहीं फैलती।

एक सोशल मीडिया संदेश में कहा गया है कि रविवार को ही कुछ धार्मिक स्थलों से एक समुदाय विशेष के बारे में आपत्तिजनक अपील की गई थी जिसके बाद लोगों की भावनाएं भड़क गईं और दंगाई सड़कों पर उतर आए। हालांकि, चेकिंग के दौरान ऐसा कोई संदेश किसी धार्मिक स्थल से जारी होने की बात सामने नहीं आई।


अधिकारी की मौत की अफवाह


दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौजपुर और अन्य इलाकों में हुई हिंसा के दौरान हुई पत्थरबाजी में मौत हो गई थी। इससे लोगों की भावनाएं आहत हुईं और माना जा रहा है कि इसी खबर के बाद और हिंसा भड़क गई। इसी खबर के पीछे शरारती तत्वों ने एक गलत खबर चलाना शुरू कर दिया।

इस खबर में दिल्ली पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी के भी दंगों के दौरान मौत होने की बात कही गई। जबकि यह सच्चाई नहीं है। संदेश में जिस अधिकारी की बात कही गई थी उनका एक अस्पताल में इलाज चल रहा है, सोमवार को उनका एक ऑपरेशन हुआ था। अस्पताल ने बताया कि उनकी हालत बिल्कुल ठीक है और वे स्वास्थ्य में सुधार कर रहे हैं।


इसी प्रकार के कई अन्य संदेश भी सोशल मीडिया में फैलाए जा रहे हैं। दूसरी जगहों की अलग घटनाओं के वीडियो भी दिल्ली के बताकर फैलाए जा रहे हैं जिससे लोगों की भावनाएं भड़क रही हैं। लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए अभी तक कोई उपाय नहीं किया गया है। आपत्तिजनक संदेश वाले एकाउंट को बंद करने के लिए भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।